मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले में आंगनवाड़ियों के लिए बर्तनों की खरीद को लेकर एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। बच्चों के पोषण की योजना से जुड़े इस मामले में बच्चों की थाली पर डाका: आंगनबाड़ी में बर्तन घोटाला बर्तनों की कीमतों को लेकर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। महंगी चम्मच, करछी और पानी के जग की खरीद ने सरकारी कार्यप्रणाली पर उंगलियां उठाई हैं।

चम्मच से करछी तक—आंकड़े चौंकाने वाले
सरकारी दस्तावेजों के मुताबिक, एक चम्मच की कीमत ₹810 बताई गई है। इस कीमत पर कुल 46,500 चम्मच खरीदे गए, जिन पर ₹3.76 करोड़ खर्च हुए। करछी की कीमत ₹1,348 रखी गई और 6,200 करछियों पर ₹83 लाख का खर्च बताया गया। वहीं, पानी के लिए इस्तेमाल होने वाले साधारण जग की कीमत ₹1,247 प्रति जग तय की गई, जिसके तहत 3,100 जगों पर ₹38 लाख खर्च किए गए।
यह टेंडर जय माता दी कॉर्पोरेशन को दिया गया और यह प्रक्रिया सरकारी ई-मार्केटप्लेस (GEM) के माध्यम से पूरी की गई।
कांग्रेस का बड़ा हमला
कांग्रेस ने इस मामले को लेकर सरकार पर तीखा हमला बोला है। पार्टी नेता और पूर्व मंत्री मुकेश नायक ने इसे बच्चों के पोषण से जुड़ा घोटाला करार दिया। उन्होंने कहा, “हमने अपने जीवन में कभी ₹810 की चम्मच नहीं देखी। यह साफ है कि सरकार ने यह टेंडर अपने करीबी लोगों को दिया है। गरीब बच्चों के नाम पर घोटाले किए जा रहे हैं, जो शर्मनाक है।”
अधिकारियों की चुप्पी पर सवाल
सिंगरौली में इस मामले पर कोई भी अधिकारी मीडिया के सवालों का जवाब देने को तैयार नहीं है। महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी अपने कार्यालय से गायब पाए गए। जब अधिकारियों से इस मामले पर बात करने की कोशिश की गई, तो उन्होंने केवल इतना कहा कि सात प्रकार के बर्तन खरीदे गए हैं, लेकिन कोई सूची या आधिकारिक बयान देने से इनकार कर दिया।
सरकार का रुख
इस मामले के तूल पकड़ने के बाद मंत्री विश्वास सारंग ने बयान जारी करते हुए कहा, “यदि ऐसी कोई खरीद हुई है, तो इसकी जांच कराई जाएगी। दोषियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा।” हालांकि, अब तक इस मामले में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
जनता का सवाल:
बच्चों की थाली पर क्यों डाका?
यह मामला केवल सरकारी खरीद का नहीं, इसके अतिरिक्त गरीब बच्चों के अधिकारों और पोषण की योजनाओं के साथ खिलवाड़ का है। जरूरत है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच हो और जो भी दोषी हो, उसे कड़ी सजा दी जाए। बच्चों की थाली पर डाका डालने वालों को किसी भी कीमत पर माफ नहीं किया जा सकता।
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