
बिहार समाचार: नीतीश सरकार द्वारा दो लाख से अधिक आंगनवाड़ी सेविकाओं, सहायिकाओं एवं पंचायत प्रतिनिधियों के मानदेय में वृद्धि की स्वीकृति प्रदान की गई है।
मंत्रिपरिषद की बैठक उपरान्त अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने सूचित किया कि प्रदेश में 1,15,000 सेविकाएँ एवं समान संख्या में सहायिकाएँ कार्यरत हैं।
सरकार ने इनके भत्ते में 01 अप्रैल, 2024 से वृद्धि का निर्णय लिया है।
वर्तमान में आंगनबाड़ी सेविकाओं को 5950 रूपये भत्ता प्राप्त है जिसे बढ़ाकर 7000 रूपये कर दिया गया है।
पटना: मुख्यमंत्री Nitish kumar की घोषणा के पश्चात् सरकार ने 2.30 लाख आंगनबाड़ी सेविकाओं एवं सहायिकाओं तथा त्रि-स्तरीय पंचायत प्रतिनिधियों के मानदेय में वृद्धि की है।
सोमवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में संपन्न मंत्रिपरिषद की बैठक में उक्त प्रस्तावों को स्वीकृति प्रदान की गई।
बैठक में कुल 19 प्रस्ताव स्वीकृत किये गए।
आंगनबाड़ी कार्यकर्तओं के मानदेय में वृद्धि करते हुए, सेविकाओं को 7,000 रूपये तथा सहायिकाओं को 4,000 रूपये प्रतिमाह प्रदान किये जायेंगे।
मंत्रिमंडल की बैठक उपरांत अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने सूचित किया कि प्रदेश में 1,15,000 सेविकाएँ एवं समान संख्या में सहायिकाएँ कार्यरत हैं।
सरकार ने 01 अप्रैल, 2024 से इनके भत्ते में संशोधन का निर्णय लिया है; जिसके अंतर्गत सेविकाओं का वर्तमान 5,950 रूपये का भत्ता बढ़ाकर 7,000 रूपये तथा सहायिकाओं का 2,975 रूपये का भत्ता बढ़ाकर 4,000 रूपये किया गया है।
इस निर्णय के परिणामस्वरूप सरकार पर प्रतिवर्ष ₹286.37 करोड़ का अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ेगा।
वर्तमान में, इस योजना में केंद्र सरकार का अंशदान 60% तथा राज्य सरकार का 40% है; किंतु, भत्ते में वृद्धि के पश्चात् राज्य सरकार का अंशदान बढ़कर 61.43% हो जाएगा जबकि केंद्र सरकार का अंशदान घटकर 38.57% रह जाएगा।
डाक्टर सिद्धार्थ ने सूचित किया है कि मंत्रिमंडल ने त्रिस्तरीय पंचायतों के छह निर्वाचित पदों के मानदेय में संशोधन कर वृद्धि की है, जो सेविका और सहायिका के मानदेय में की गई वृद्धि के अनुरूप है।
यह संशोधित मानदेय 1 अप्रैल, 2024 से प्रभावी होगा।
इसके अंतर्गत, पंचायत मुखिया का मानदेय ₹2,500 से बढ़ाकर ₹5,000, उप-मुखिया का ₹1,200 से ₹2,500, और ग्राम पंचायत सदस्यों का ₹500 से ₹800 किया गया है।
इसी प्रकार, ग्राम कचहरी सरपंच का मानदेय ₹2,500 से ₹5,000, उप-सरपंच का ₹1,200 से ₹2,500, और पंच का ₹500 से ₹800 कर दिया गया है।
इस मानदेय वृद्धि के परिणामस्वरूप सरकार पर अतिरिक्त ₹3.30 अरब का वित्तीय भार पड़ेगा।